कहीं सरहद की जासूसी का माध्यम ना बन जाएं सोशल मिडिया,

कहीं सरहद की जासूसी का माध्यम ना बन जाएं सोशल मिडिया,
सामरीक दृष्टि से देश के सबसे सवेंदनशील जिले हैं बाड़मेर-जैसलमेर

राजू चारण

बाड़मेर ।। देश के बाड़मेर जैसलमेर बीकानेर ,श्री गंगानगर सहित पंजाब और गुजरात के अधिकांश जिले भारत पाकिस्तान बाॅर्डर से लगते हुए स्थित हैं। वहीं सामरिक दृष्टि से राजस्थान के बाड़मेर और जैसलमेर दौनो जिले अति महत्वपूर्ण और अतिसंवेदनशील है। इन जिलो की पूरी सीमा पड़ोसी दुश्मन देश पाकिस्तान की लगती है। जो अब तक पूर्ण रूप से तारबंदी से बंद कर दी गई है। और सुरक्षा के लिए सेना को चौबीसो  घंटे तैनात करके इन स्थानों को पूर्णरूप से आमजन की आवा-जाही के लिए प्रतिबंधित कर रखा है। किन्तु इन सब प्रयासों के बावजूद अब बाड़मेर जैसलमेर के इन प्रतिबंधित जिलों में सोशल मिडिया के मार्फत सामरिक दृष्टि से अतिसंवेदनशील स्थानों की फोटोग्राफी और विडियोग्राफी करके स्टोरी व लघू फिल्मों के माध्यम से बाॅर्डर से सटे अतिमहत्वपूर्ण प्रतिबंधित स्थानों की फोटोग्राफी, विडियों, विस्तृत भौगोलिक जानकारी आदी को सोशल मिडिया पर प्रसारित किया जा रहा हैं। जो कि दुश्मन देश के लिए जासूसी करने जैसा अतिमहत्वपूर्ण साबित हो रहे हैं ।

चूंकि, पड़ोसी देश अपने नापाक हरकतों के लिए कुख्यात है, वो बार बार अलग अलग सीमाओं से भारत के अंदर अशांति फैलाने की कोशिश करता है। कई बार जिले मे पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोपी पकड़े गए है, सीमा से उस पार बैठे आंतकी भारत मे अलग अलग जगह अपना ठिकाना बनाने के प्रयास में है। कभी कभार पक्षीयों, ड्राॅन केमरा, संदिग्धों के माध्यम से जासूसी करवाता रहा है। और कई बार भारतीय बाॅर्डर पर इस तरह की राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को सेना के जवानों द्वारा पकड़ा भी गया हैै। सरहद पर सेना की सख्ती के कारण जासूसी का माध्यम भी बदलकर नए स्वरूप में सामने आ रहा है, जिसे हम सोशल मिडिया के तौर पर हल्के में लेते आ रहे है। जबकि यह देश के लिए आने वाले समय में सबसे घातक सिद्ध होगा।

वहीं, अब सेना की चाकचौबंद मुस्तैदी के कारण देश के इन अतिमहत्वपूर्ण स्थानों की जानकारी जुटाने के लिए पड़ौसी मुल्क को इन स्थानों की भौगोलिक परिस्थितियों की विस्तृत जानकारीयों से भरे सोशल मिडिया के फोटो विडियों के माध्यम में आसानी से मिल रहे हैं। बाड़मेर जैसलमेर में पत्रकारों का चोला पहनकर, सोशल मिडिया के पत्रकार बनकर बाड़मेर के बाखासर, चौहटन, गडरारोड़, जैसलमेर के सुल्ताना गांवों की स्टोरियां भौगोलिक परिस्थितियों की जानकारी की लघू फिल्मे इन दिनों धडल्ले से देखी जा रही है। हाल ही में बाड़मेर के जिला सूचना एवम् प्रसारण कार्यालय में उदघाटन किए गए वेब पाॅर्टल पर बाखासर, गडरारोड़, सुल्ताना गांवों की भौगोलिक परिस्थितियों का ब्यौरा मय अंतरराष्ट्रिीय सीमा से दूरी, परिवहन साधनो, ग्रामीणों की जीवनशैली, सेना की गस्त का सचित्र फिल्मांकन किया जाकर लघू फिल्मों के रूप में यूटयूब के माध्यम से धडल्ले से प्रचार प्रसार किया जा रहा है।

गौरतलब हैं कि आज भी इन प्रतिबंधित जिलों में जिला कलक्टरो द्वारा सीमा के नजदीक बसे गांवो में रात्रि विचरण पर पाबन्दी ओर कफ्र्यू लागु किया जाता है। वहीं राष्ट्रीय राजमार्ग पंन्द्रह वर्तमान मे अडसठ के उस पार विदेशियो का आना जाना  व फोटोग्राफी विडियोग्राफी करने पर पूर्ण रूप से पाबन्दी है। जिस पर इस तरह की गतिविधि बिना प्रशासनिक अनुमति के करने पर कानूनन इस तरह के अपराध पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा भी बन सकता है।

पड़ोसी देश सीधे हमसे नही उलझ सकता है मगर वो डरता जरूर है जिसके लिए वो बार बार हमारी सेना की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए लोगो को यहां तक की सेना में भी धन, हनी ट्रेप के जरिये प्रलोभन देकर जानकारियां लेने में लगे है। ऐसे में अनैतिक तौर तरिकों से पैसा कमाने के लिए छूटभैया स्तर के माफिया, पत्रकार का चोला पहनकर सोशल मिडिया पर देश के सामरिक स्थलों की भौगोलिक स्थितियों को गाजे बाजे के साथ उजागार करके सोशल मिडिया से पैसा कमाने में जुटे है। अब देखने वाली बात यह हैं कि जहां न्यूज चैनल, अखबार अपना काम पूर्ण तौरतरीको से करते हुए राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखते हैं।

वहीं सोशल मीडिया वाले कुकरमुत्तों की तरह उग आए जो अपने नाम से यूट्यूब, वेबपोर्टल चलाकर खबरे करना, अधिकारियों से वर्जन लेना, कहीं उगाही करना ऐसा कर अपना काम चला रहे है। इन पर कोई पर किसी तरह की पाबंदी नही है, कहीं भी आये जाए खबर करे कैमरे चलाये कोई रोकने-टोकने वाला नही। सरकारी कर्मचारी भी नहीं पूछते की आप कौन हे भाई। अक्सर जिला कलेक्टर, पुलिस अधिकारी इनको जमकर बाइट देते नजर आते है। इनमे से एक यूटयूब चैनल्स का तो उदघाटन भी पिछले साल सूचना एवं प्रसारण कार्यालय में जिसमे स्थानीय पत्रकारों, देश की सबसे बड़ी क्रूड आयल कम्पनी के प्रतिनिधि भी मोजूद थे।

चंद रोज पहले अस्तित्व में आया यह पाॅर्टल जिले की सीमा में बसे गांवो के  वीडियो बनाकर यूटयूब पर अपने नाम के चैनल बनाकर डाल रहा है जो हमारी देश के लिए घातक है,  इन खबरो में सीमा के नजदीक बसे गावो के वीडियो बनाकर यूटयूब पर डालने से पड़ोसी नापाक देश को जासूसी में मदगार साबित हो रहे है।  बॉर्डर के नजदीक बाड़मेर जिले को सामरिक दृष्टि से संवेदन माना गया है। इनके द्वारा की गई वीडियो खबरो से देश की आंतरिक तस्वीरों का देश के बाहर जाना खतरनाक है।

इतना कुछ होने के बावजूद भी जिम्मेदार तमाम सरकारी महकमे आंखे मूद कर बैठे है। वहीं खुफिया तंत्र भी शायद कुम्भकर्ण की नींद सो रहे है। जबकि ऐसे सोशल मिडिया को जो कि देश के अहित को आमादा हैं को चोरी छूपे असामाजिक तत्व भामाशाही व विज्ञापन आदी के माध्यम से वितपोषित कर रहे है।