जिस देश के नागरिक जितने सभ्य,वह देश उतनी ही ज्यादा प्रगति करता है:एसडीएम गहलोत

जिस देश के नागरिक जितने सभ्य,वह देश उतनी ही ज्यादा प्रगति करता है:एसडीएम गहलोत

हिंगलाज दान चारण

देसूरी ।। किसी देश का सबसे महत्वपूर्ण अंग मानव संसाधन होता है।वैश्विक स्तर पर मानवीय घटनाक्रम की अहमियत होती है।वहा के नागरिकों की अभिव्यक्ति व संस्कृति मौजूदा हालात को दर्शाते हैं।सम्भवतः जिस देश के नागरिक स्वंतत्रता पूर्वक जीवन निर्वहन कर रहे है तो उनसे उम्मीद लगाई रहती है कि देशहित के लिए अच्छा करेंगे।सभ्य इंसान देश की प्रगति का चिराग है।आलेख उस सन्दर्भ में जब देसूरी उपखण्ड स्तरीय 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाया जा रहा था।समारोह की अध्यक्ष देसूरी उपखंड अधिकारी राजलक्ष्मी गहलोत के अभिभाषण का अंश है कि “जिस देश के नागरिक जितने सभ्य होते है,वह देश उतनी ही ज्यादा प्रगति करता है।” ये बात शिक्षित वर्ग के लोगो को समझाने के लिए काफी थी कि आपका देश के लिए कितना समर्पण है।भारत को विश्वगुरु का दर्जा प्राप्त है।जो सनातन,वैदिक,ज्योतिष,शास्त्र,विज्ञान इत्यादि में निपुणता दर्शाता है।वर्तमान परिपेक्ष्य में भारत मे काफी परिवर्तन हुआ है।युवा वर्ग के कुछेक साथी व्यसन,अपराध के साथ भारत का भविष्य खराब कर रहे है।जिन्हें सभ्य इंसान बनाना होगा।देश की स्थिति को सुदृढ करने की आवश्यकता है।धर्म,समाज,सामाजिक संस्थाओं का दायित्व बनता की वे समाज मे सभ्य इंसानो का निमार्ण करे।जिससे देश की उन्नति होगी।क्योंकि जब तक इंसान चोरी,अपराध,अशिक्षा के साथ रहेगा,वो हमेशा उलट ही कार्य करेगा।जो उसका स्वयं नुकसानदेह है।हमे सभ्य समाज की स्थापना करनी होगी।क्योकि परिवेश का जीवन पर बहुत प्रभाव डालता है।जैसी संगत होगी,वैसे नतीजे भी मिलेंगे।प्रत्येक बुद्धिजीवी का दायित्व की आस-पड़ोस के लोगो को सकारात्मक माहौल उपलब्ध करवाए।शिक्षा की अलख जगाये।कुछ बेहतरीन प्रदर्शन/काम के लिए प्रेरित करे।श्लोगन है कि पढ़ेगा इंडिया,तभी तो बढ़ेगा इंडिया।हमे भारत को विश्व मे सर्वश्रेष्ठ रखना है।परिजन अपने बच्चों को आदर्श बनाये,आदर सत्कार,भाषा का प्रयोग सिखाये।उनकी वेशभूषा,लाइफस्टाइल के प्रति ध्यान रखे।
देश की स्थिति मजबूत करने के लिए सभ्य इंसान ही योगदान दे रहे है।सभ्य इंसान किसी व्यक्ति के ऊपर लिखा नही जाता,लेकिन उसकी कार्यशैली में पूरा वर्णन मिलता जाता है।सभ्य इंसान किसी का बुरा नही कर सकता।एक सभ्य इंसान शालीन, मृदुभाषी, सहयोगी, ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ जैसी गुणीजन को कहा जा सकता है।भारत की प्रगति सभ्य इंसान की बदौलत ही हो पाएगी।स्थानीय स्तर पर सभ्य इंसान की पहचान सरकार,प्रशासन एवं सामाजिक/संवेधानिक कानून में विश्वास करने वाले को कह सकते है।जो विकासकार्यो के उत्थान में अग्रणी भूमिका निभाएं।इंसान के अंदर सबसे बड़ा गुण कहे तो वो होता है उसका सभ्य होना।जिस देश मे इंसान सभ्य नही,उसका कोई अस्तित्व नही है।अंततः देश की तरक्की के लिए सभ्य इंसान अति महत्वपूर्ण है।