बाड़मेर… पत्रकारिता के नाम पर और कितना गिरोगे जनाब

बाड़मेर… पत्रकारिता के नाम पर और कितना गिरोगे जनाब

राजू चारण

बाड़मेर ।। बाड़मेर की खुशहाल मस्त मलंग सी आबोहवा को व्हाट्सएप युनिवर्सिटी के डिग्रीधारकों द्वारा सोशल मिडिया नाम की पनोति जब से लगी हैं, तब से मानों जिले में ओर शहर के गंदे नाले में रेडिमेड खबरियों का उफान सा आ गया है। जहां देखों वहां यह रेडिमेड खबरियें अपने सोशल मिडिया की गंदगी को ओवरफ्लो करके बाड़मेर जिले में जनता की नाक सड़ाने में लगे हुए है। दिन के साफ उजाले में शरीफजादे की तरह पाॅलिस किये शूट बूट में सजे संवरे सोशल मिडिया के इन रेडिमेड खबरियों को देखकर एकबारगी हर कोई अचरज में पड़ जाए। और इनके सोशल समूह से जुड़ने को लालायित हो जाता है। लेकिन जैसे ही सांझ ढ़लती है, इनका एट पीएम नाट्यशालाओं का कूपोषित प्रसारण
व्हाट्सएप ग्रुपों में शुरू हो जाता है। अब फिर से अचरज की बात यह पेश आती है कि दिन के साफ उजाले में इनसे जुड़ने वाले एट पीएम प्रसारण को देखकर चुपचाप समूहों से धड़ाधड़ लेफ्ट हो जाते है। और फिर यह उचित भी हैं कि इनके एयरकंडीशन समूह में एट पीएम का पाद इतना सड़ा हुआ होता हैं कि कोई भी भला इंसान इनके बीच में टिक नही सकता है । और फिर यह सब मिलकर एट पीएम की मदहोशी में आधी रात तक बारी बारी से कुपोषण युक्त पाद छोड़ते रहते हैं, ऐसे में कोई भला क्यों खुद को सड़ान भरे पाद समूहों में मौजूद रखेगा, तो ऐसे पनोतियों के समूह से रूखसत होना तो आखिरकार बनता ही है।

यही नही, इनके समूहों में ज्यादातर तुगलकी फतवे, खाप, पंच पंचायती, फतवा स्तर के फरमान भी अमूमन जारी होते रहते है। अगर किसी भले इंसान ने किसी वाजिब मुद्दे पर अपनी साफ़ सफाई में कलम चला दी तो फिर इन समूहो के तुगलकी फरमान आने शुरू हो जाते है। खबर के मामले में यह समूह जिसकी नीव खोद देते हैं, वहीं अगर किसी पत्रकार ने उसी खबर की तरफ देख भी लिया तो इन सोशल मिडिया समूह वालो के पिछवाड़े में जैसे रावण दहन के दौरान बारूद लगी तिली सुलगा दी हो। खुद तो खबर के नाम पर किसी के भी शौच में से साबूत दाना ढूंढ़ने में जिन्दगी खपा देते है। लेकिन वहीं अगर किसी खबरनवीस ने खबर के नजरिये से खबर कर ली तो उस खबरनवीस को फतवा झेलने को तैयार रहना पड़ता हैं।

अब बात करे तो नफा नुकसान की बात पीछे क्यों रहे। गली मौहल्ले के नुक्कड़ों से लेकर डाक बंगले तक वहां पर जहां जहां इनका फैलाया उकरड़ा सबसे ज्यादा गंध मारता रहता हैं, तो एक ही सवाल गुंजता हैं कि आप खबरनवीसों ने हमारी युवा पीढ़ी को आखिर दिया ही क्या ? तो अब चलो विचार करते है,,, बरसों से जो खबरनवीस खबरे करते आए हैं, उनको बाड़मेर जिले में नाम से जाना जाता था, और हमेशा जाना जाता रहेगा, यह अटल सत्य हैं। अपने जमाने के खबरनवीस कभी नेताओं, अधिकारीयों, कर्मचारियों के साथ सेल्फी के लिए लालायित नही रहते थे। उन खबरनवीसों को अधिकारीयों नेताओं द्वारा ससम्मान आदर तवज्जों देते थे और हमेशा-हमेशा देते रहेंगे। अधिकारी हो नेता, उस दौर में खबरनवीस से मिलने के लिए लालायित रहते थे। आज के दौर की सेल्फी पत्रकारिता को स्पष्ट शब्दों में गंदे नाले के उफान की तरह दूषित पत्रकारिता ही कही जाएगी तो फिर कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।