मारवाड में अकाल बना गौवंशो का काल

मारवाड में अकाल बना गौवंशो का काल
गौ भक्तो ने की राजस्थान सरकार से तीसरे गौअनुदान की मांग

जगमालसिंह राजपुरोहित

भीनमाल ।। पश्चिमी राजस्थान मे दो माह पुर्व पहली बरसात मे किसानो के चहरे पर खुशी की लालीमा छा गई थी तब खेत खलिहानो मे , गौचर व ओरणो में हरी घास का उफान आ गया था, परन्तु दो माह मे दुसरी बार एक बार भी बरसात की बुंद नही गिरने के कारण हरी घास तथा फसल जलकर जमीन पर ही छिपक कर रह गई, हरी चुनडी ओढी हुई धरती काली बनकर रह गई, जली हुई फसल देखकर किसानो के चेहरे पर मायुषी छा गई, निराश्रित ,उपेक्षित ,बैसहरा तथा घरेलु गौवंशो हरी घास खाने के सपने अधुरे रह गये, बरसात न होने के कारण व ट्यूबवेलो का, कुओ का जल स्तर गिर जाने के कारण गौवंशो व पशुपालको के खाने के लिए आज एक भी तिनका नही है, भयंकर अकाल को देखते हुए गौशाला संचालको के चेहरे उतर गऐ है तथा गौ भक्तो मे भयंकर मायुषी छा गई है।

वर्तमान मे बाजरे की कुतर के दाम प्रति किव्वटंल 1400 रूपयो गेहुँ का खाखला 1100 रूपये किव्वटंल तथा ग्वार की गवातरी 900 रूपये किव्वटंल के भाव से बिकना शुरू हो गया है, किसानो के पास चारा न होने के कारण गौशालाओ की ग्वाण खाली पडी है । ग्वाण के चारो तरफ भुखे गौवंश मंडरा रहे हैं।

हरीश कुमार पुरोहीत आलडी ने बताया की अकाल के चलते गौवंशो को चारा नही मिलने के कारण लाखो गौवंशो के प्राण संकट मे है। मारवाड के समस्त गौभक्तों का राजस्थान सरकार से गौशालाओ को अकाल पिडित गौवंशो के लिए तिसरा अनुदान देने की मांग करते हैं। वहीं ईधर किसानों ने बोई फसल बरसात नहीं होने से जल चुकी है