राज्य के मुखिया की नजर में जिला प्रशासन की अग्नि परीक्षा

राज्य के मुखिया की नजर में जिला प्रशासन की अग्नि परीक्षा
बाड़मेर : लाखों- करोड़ों हुए खर्च, फिर भी जमकर पसरा कोराना

राजू चारण

बाड़मेर ।। राज्य सरकार ने दूसरी बार लौकडाउन को लगाने के बीच बीच में आमजन के राहत देने वाले सरकारी दिशा-निर्देशों के अनुसार कुछ ना कुछ खोल दिया मगर ये नही देखा कि कोरोना अभी तक हमारे बाड़मेर जिले सहित राज्य और देशभर से पूरी तरह साफ नहीं हुआ है। आमजनों द्वारा कोई भी लापरवाही बरतने से पहले अपने परिवारजनों की सुरक्षा पहली प्राथमिकता से जनता को ही तय करना होगा। बाड़मेर जिले में दूसरी बार लाक डाउन को लगाने के बाद जन लाक डाउन के दौरान अभी और ज्यादा कोराना महामारी के रोगियों की संख्या लगातार सरकारी आंकड़ों के अनुसार दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

बाड़मेर जिला मुख्यालय पर विराजमान अधिकारी यह
सुनिश्चित नही कर पाए की जन लौक डाउन लगाने से लेकर ओर आमजनों को राहत देने वाली आवागमन शुरु करने से कोराना महामारी फैलने की चैन को रोकेंगे कैसे, मौजूदा हालात को देखते हुए ये तो ओर ज्यादा फैलेगी ही क्यों कि इसको फैलाने में संक्रमण जो एक व्यक्ति से दूसरे में प्रवेश करता है फिर दूसरे तीसरे और तेजी से फैलता हुआ पूरे जिले सहित शहरी क्षेत्र ओर गांवों-कस्बों के लोगों को अपने आगोश मे ले रहा है । इस कड़ी से कड़ी को रोकने की नाकामियों के कारण ही हमारी मशीनरी इसी में शायद यह फैल हो गए।

सरकार ने समय-समय पर सरकारी दिशा-निर्देशों के अनुसार जरूर नियमावली बनाई जिससे ये संक्रमण फैलने से रुके, आगे से आगे ज्यादा नही बढ़े। उसमें बाड़मेर जिला मुख्यालय पर अस्पताल प्रशासन भी अपने स्तर पर शायद फैल हो गया। पिछली बार भी शुरूआती दौर में पुलिस का ढुलमुल रवैया भी कुछ खास नही होने से पहली बार जयपुर से सड़क मार्ग द्वारा प्रिंसिपल ने बाड़मेर जिले को राज्य सरकार की सूची में पहले नम्बर पर शामिल करवाया था । इसी के बाद तो सारा दोषारोपण हमारे अधिकारियों द्वारा प्रवासियों पर आराम से लगाते रहे ओर लोग-बाग आते रहे, सक्रमण साथ में खुल्लेआम लाये ओर यहाँ अपनों को रेवड़ियों की तरह कोराना भड़भड़ी बांटते रहे । इस बार भी जिले में प्रवेश करने वाले मार्गों पर वही सरकारी अधिकारियों का जाब्ता तैनात हैं लेकिन फिर भी दिनों दिन बढ़ती हुई संख्या उनकी मौजूदगी पर दाग़ लगा रहीं हैं, कहीं कहीं पर छोटे वाहन चालकों से ले देकर आने जाने के समाचार भी आ रही है। पुलिस तंत्र द्वारा जानबूझकर कोताही बरतने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी या फिर कोराना वारियर्स के नाम पर खानापूर्ति….

कोरोना वायरस को आगे बढ़ने नही देंगे समय-समय पर सरकार द्वारा सैकड़ों दिशानिर्देश जारी किए गए लेकिन उसको पढ़ने की आमजन में फुर्सत किसे, जिला प्रशासन की कार्यप्रणाली को देखते हुए यह बात भी सटीक बैठती है कि अस्पताल प्रशासन कोराना महामारी को इस बार कैसे रोकेंगे।

हमारे अस्पताल में सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध होने के बावजूद भी आजकल भामाशाहों से आवश्यक साधनों को लेने की जरूरत कैसे पड़ीं। अस्पताल ओर जिले में चिकित्सा विभाग द्वारा किसी भी महामारी या फिर आपातकालीन स्थिति में हमेशा सहयोग की अपील क्यों की जाती है। देशभर में सबसे ज्यादा राजस्व देने वाली औधोगिक कम्पनियों द्वारा हमेशा जिला कलेक्टर के सामने फोटो खींचवाकर कुछ न कुछ भेंट किया जाता है क्या सरकार द्वारा हजारों की संख्या में तैनात चिकित्सा विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की फौज पर लाखों करोड़ों रुपए का बजट हर साल आवंटित ओर खर्चे होता है। ओर भी बड़े बड़े बजट वह कहां पर अस्पताल प्रशासन द्वारा खर्च कर दिया जाता है। इससे तो अच्छा है कि जिला अस्पताल को इन औधोगिक कम्पनियों को ही सरकार को गौद दें देना चाहिए हमेशा हमेशा कुछ न कुछ मांगने का झंझट ही खत्म।

शहर हो या गांवों, कस्बेवासियों द्वारा आवागमन में कोई नियमों का पालन नही किया जाता है। इसमें जरूरतमंद व्यक्ति ही जिला मुख्यालय पर आये जाए इसकी कोई रूप रेखा नही बनाई गई है। जरूरत की आवश्यक सेवाएं राहत देने के नाम पर खुली रहेगी मगर कितनी कहाँ पर ये निश्चित नही किया गया। पिछले पन्द्रह दिन से पूरे देश में शौपिंग मोल्स बंद थे लेकिन स्टेशन रोड़ पर जिला प्रशासन द्वारा बंद करवाने के बावजूद भी खुलना जिला प्रशासन की ढुलमुल रवैए के कई सवाल पैदा करता है।

ग्यारह बजे तक मार्केट खुले शॉपिंग मॉल खुले मगर सोशल डिस्टेन्स की कोई पालना नही होता है। बाजारों में भीड़ इतनी बढ़ गई और कितनी बार रास्ते बाधित हुए। लोगो का हुजूम जाने क्या ख़रीदारी करने निकला जिससे बाजार में पैदल चलना भी मुश्किल हो गया। शहर में कितने मॉल है कितनी दुकाने है। इनमे क्या-क्या समान मिलता है सुरक्षा सिस्टम वहां पर है या नही, कितने लोग इसमें काम करते है, इसकी सूची या फिर आंकड़ों की प्रशासन को कोई खैर ख़बर नहीं होगी शायद। सरकारी आंकड़ों के मकड़जाल में जरूर दर्ज होगी लेकिन धरातल पर भारी अभाव जरूर झलकता था।

इनकी खबर होती तो इसको भी सरकारी दिशा-निर्देशों पर इस तरह खुलवाते, जरूरत कि किराने की दुकानों को एक दिन छोड़ के खुलवाते। बाकी हर दुकानदार से उनके बीच की दूरी के हिसाब से एक दिन छोड़ एक दुकान खुले रखने के आदेश बनाती। ताकि बाजारों में निश्चित दूरी पर दुकाने खुलेगी तो शोशल डिस्टेन्स की पालना हो जाती। उसके बाद प्रशासन ऑनलाइन खरीदारी जैसे किराणा, दूध और सब्जी की व्यवस्थाएं मुहल्ले में एक दिन छोड़ कराते, ताकि घरों से लोगों को निकलने की जरूरत कम पड़ती।

पुलिसकर्मी इस दौरान ये निश्चित करती की चार पहिया वाहन बिना वजह तीन से ज्यादा सवारी ना बिठा कर जाए। बाइक पर पीछे कोई नही बैठे। बाजारों में जरूरत के हिसाब से अकेले खरीदारी ही करने की पाबंदी लगाते। बिना कारण घूमने वालो पर भारी चालान काटने की प्रक्रिया चलाते। लेकिन हमारे पुलिस जाब्ते द्वारा बाड़मेर जिला मुख्यालय पर रेल्वे स्टेशन के बाहर आवागमन बंद कर सरकारी राशि का राजस्व जरूर बढ़ाते देखें गए थे। मुख्य सड़क के आस-पास की गलियों से मनचलों की धमाचौकड़ी ओर ताश खेलने वाले शौकिया लोगों को कोई परेशानी आजतक नहीं हुई।

दुकानदार दुकानों पर बिना मास्क लगाए समान नही बेच सकते, और ग्राहकों को भी शोसल डिस्टेन्स की पालना करने पर ही समान देते जरूर है। साथ ही सबक लेते हुए आमजनों द्वारा ध्यान देकर चलते तो कोरोना के ये जहरीले फन अपने बाड़मेर जिले में कभी नही फैलते।